“मुहम्मद नबीना”: पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की शान में एक भावपूर्ण स्तुति

“मुहम्मद नबीना” एक दिल को छू लेने वाला इस्लामी भक्ति गीत (नशीद) है, जो पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के प्रति प्रेम, सम्मान और समर्पण को व्यक्त करता है। यह गीत अरबी भाषा में है, और इसमें आधुनिक मानक अरबी और मिस्र की बोलचाल की अरबी का मिश्रण है। यह गीत पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के मार्गदर्शन, उनके गुणों और इस दुनिया और आख़िरत (परलोक) में उनके निकट होने की इच्छा पर केंद्रित है।

गीत के शीर्षक का अर्थ: “मुहम्मद नबीना”

गीत का शीर्षक, “मुहम्मद नबीना,” सीधे तौर पर घोषित करता है: “मुहम्मद हमारे पैगंबर हैं।” यह गीत का केंद्रीय संदेश है और इस्लाम के मूल विश्वास को स्थापित करता है। यह शीर्षक गीत के उद्देश्य को स्पष्ट रूप से व्यक्त करता है – पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की स्तुति और उनके प्रति समर्पण।

गीत के बोलों का अर्थ और शीर्षक से संबंध

गीत के बोल पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम से भरे हुए हैं। बार-बार दोहराया जाने वाला वाक्यांश, “मुहम्मद नबीना बिनूरेह हादीना” (Muhammad Nabina Binourihi Hadina), जिसका अर्थ है, “मुहम्मद हमारे पैगंबर हैं, अपने प्रकाश से हमें मार्ग दिखाते हैं,” उनके मार्गदर्शन की भूमिका पर प्रकाश डालता है।

गीत में मक्का से मदीना तक पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की हिजरत (प्रवास) का भी उल्लेख है – “मिन मक्का हबीबी नूरुहु सतअ अलमदीना” (Min Makkah Habibi Nourouhu Sata’a ‘alal-Madinah), जिसका अर्थ है, “मक्का से, मेरे प्रिय, उनका प्रकाश मदीना पर चमका।”

गीत में उनके गुणों का अनुकरण करने और उनकी प्रार्थनाओं को पढ़ने के महत्व पर बल दिया गया है – “मन सल्ला सलातहु वत-तहल्ला बि सिफातिहि” (Man Salla Salatahu Wat-tahalla Bisifatihi), जिसका अर्थ है, “जो कोई उनकी प्रार्थना पढ़ता है और उनके गुणों से सुशोभित होता है।”

गीत में यह भी कहा गया है कि जो लोग उनके बताए मार्ग पर चलते हैं, वे भाग्यशाली हैं, और क़यामत के दिन पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) उनकी सिफ़ारिश करेंगे(“या बख्त इल्ली फी दिल्लू माशी यशफाअ’लु फी ममातुह” – Ya Bakht Illi Fi Dhillu Mashi Yashfa’alu Fi Mamatouh) ।

गीतकार पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को “या इमामाना, या अमीन, या सनद लिल-मुस्लिमीन” (Ya Imamana, Ya Amin, Ya Sanad Lil-Muslimeen) कहकर पुकारता है, जिसका अर्थ है, “हे हमारे इमाम, हे अमीन (विश्वसनीय), हे मुसलमानों के लिए सहारा।” वह उन्हें “या हबीबी, या मुहम्मद, या इब्न अब्दिल्लाह” (Ya Habibi, Ya Muhammad, Ya Ibn Abdillah) कहकर भी संबोधित करता है, जिसका अर्थ है, “हे मेरे प्रिय, हे मुहम्मद, हे अब्दुल्लाह के पुत्र।”

गीत में यह भी उल्लेख है कि पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) अंतिम पैगंबर हैं – “तम्मत अर-रिसालात तमाम वल-हबीब मिस्क अल-खिताम” (Tammat Ar-Risalat Tamam Wal-Habib Misk Al-Khitam), जिसका अर्थ है, “संदेश पूर्ण हो चुके हैं, और प्रियजन निष्कर्ष की मुहर (कस्तूरी) हैं।”

गीतकार अपनी व्यक्तिगत भावनाओं को भी व्यक्त करता है, जैसे कि पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को सपने में देखने की इच्छा – “नफ्सी अशूफक फिल-मनाम, या रसूल अल्लाह” (Nafsi Ashufak Fil-Manam, Ya Rasul Allah), जिसका अर्थ है, “मैं आपको सपने में देखना चाहता हूँ, हे अल्लाह के रसूल।”

गीतकार पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को “या हबीबी, या ताहा” (Ya Habibi, Ya Taha), जिसका अर्थ है, “हे मेरे प्रिय, हे ताहा।” ताहा पैगंबर मुहम्मद के नामों में से एक है। गीतकार पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को “या नजात मिन अल-मताहा” (Ya Najaat min al-Mataha), जिसका अर्थ है, “हे भ्रमजाल से मुक्ति दिलाने वाले।”

कुल मिलाकर, “मुहम्मद नबीना” एक गहरा भक्तिपूर्ण गीत है जो पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के प्रति प्रेम, सम्मान और कृतज्ञता की भावनाओं को व्यक्त करता है। यह गीत उनके मार्गदर्शन, उनके गुणों और उनके अनुयायियों के जीवन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका का उत्सव मनाता है। शीर्षक, “मुहम्मद नबीना,” इस केंद्रीय संदेश को संक्षिप्त और शक्तिशाली रूप से प्रस्तुत करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *